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सबसे बड़ी चुनौती से बढ़ा रीता का आत्मविश्वास, खिलखिला उठती हैं जिंदगियां

सेवा और समर्पण की मिसाल बनीं रीता, जच्चा-बच्चा की सलामती पहली प्राथमिकता  

एसजीपीजीआई के मैटरनिटी वार्ड में सीनियर नर्सिंग ऑफिसर रीता की कहानी उन्हीं की जुबानी

लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा/टेलीस्कोप टुडे)। वह नौ महीने गर्भ में संजोकर जिंदगी देने वाली मां तो नहीं है पर माँ से कम भी नहीं है। उसके हाथों में जिंदगी खिलखिला उठती है। वह लोगों की जिंदगी में खुशियों की गवाह बनतीं हैं।

ऐसी ही एक नर्स हैं रीता, जिनके कुशल देखभाल और सफल प्रयास से सैकड़ों लोगों के कानों तक उनके नवजात की किलकारी गूंजी है। लखनऊ की रहने वाली 38 वर्षीया रीता वर्मा एक समर्पित नर्स हैं जो कि 16 साल से नर्सिंग क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रही हैं। इतना लम्बा अनुभव उनकी नर्सिंग के क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता को प्रमाणित करता है। इस समय वह एसजीपीजीआई के मैटरनिटी वार्ड में सीनियर नर्सिंग ऑफिसर के तौर पर कार्यरत हैं। उनकी नर्सिंग की शुरुआत वर्ष 2008 में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में ट्रेनिंग से हुई। वह बताती हैं कि बचपन में जब उनकी माँ बीमार हुईं तो उनके साथ अस्पताल जाना होता था। तभी से सफ़ेद एप्रन पहनने की इच्छा जाग उठी थी। इसीलिए आगे चलकर नर्सिंग का पेशा चुना।

मैटरनिटी वार्ड में काफी समय से काम कर रहीं रीता बताती हैं कि हमारे यहाँ अधिकतर गंभीर मामले ही आते हैं क्योंकि सामान्य प्रसव तो स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल पर हो जाते हैं। लेकिन जो गंभीर दिक्कतों से पीड़ित गर्भवती होती हैं वही हमारे यहाँ आती हैं। ऐसे में दो स्तर पर चुनौती का सामना करना होता है – एक तो गर्भवती को मानसिक संबल देना कि सब अच्छे से हो जायेगा और दूसरा माँ और बच्चें को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी ।

सबसे बड़ी चुनौती ही बनी सबसे बड़ा अवसर

रीता अपने 16 साल के अनुभवों में से सबसे अनोखा अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि पांच साल पहले 53 वर्षीय आइवीएफ ट्रीटमेंट से गर्भवती हुई एक महिला उनके वार्ड में भर्ती हुई। उनकी उम्र में प्रसव करवाना सबसे चुनौतीपूर्ण था। इतना ही नहीं इससे पहले उनके सात गर्भस्थ शिशुओं की मृत्यु भी हो चुकी थी। इसके साथ ही वह शुगर व हाइपरटेंशन की समस्या से भी जूझ रही थी। उनको सुरक्षित बच्चे के जन्म को लेकर बहुत अपेक्षाएं थीं। गर्भवती की विशेष देखभाल की और उन्हें खूब प्रोत्साहित किया। उन्हें मानसिक तौर पर तैयार किया और उनके सारे संकेतकों पर कड़ी निगरानी रखी। आखिरकार सारी मेहनत के बाद उन्होंने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धियों में से एक थी। इस केस के बाद मेरा आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया।  

 रीता हाल ही का एक केस साझा करते हुए बताती हैं कि 45 वर्षीय गर्भवती अपने चौथे बच्चे के प्रसव के लिए आयी थी। उन्हें पहले तीन बच्चों की गर्भ में ही मृत्यु का दुःख झेलना पड़ा था। इसके अलावा वह हार्ट पेशेंट भी थीं जिसकी वजह से यह मामला और भी जटिल बन गया था। डिलीवरी के समय बच्चे का सिर भी पेल्विक में अटक गया था। ऐसे में बहुत ही धैर्य और सावधानी के साथ प्रसव कराया गया। इस चुनौतीपूर्ण स्थिति को सही से नियंत्रित किया जिसमें बच्चे का जन्म सुरक्षित तरीके से हुआ और साथ ही माँ भी पूरी तरह स्वस्थ थी। वह बताती है कि लगातार वार्ड में किये गए प्रयासों की वजह से उनके वार्ड को वर्ष 2023 में बेस्ट वार्ड से नवाज़ा गया है। वह कहती हैं कि अच्छी टीम हो तो सीखने को भी बहुत कुछ मिलता है और काम भी सरल हो जाता है। असिस्टेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट मालिनी सिंह बताती हैं कि रीता बेहद कर्मठ हैं। उनका मरीज़ के प्रति व्यवहार बहुत अच्छा है और अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करती हैं। उनकी इन सभी विशेषताओं को देखते हुए इस बार उन्हें नर्स दिवस के अवसर पर बेस्ट नर्स के रूप में अवार्ड के लिए चुना गया।