पहाड़ी राज्यों में भ्रमण से ज्यादा मंदिर दर्शन को तवज्जो दे रहे पर्यटक : राज्यपाल

यूपी टूरिज्म के प्रयासों से महज पांच साल में रामनगरी का हुआ कायाकल्प : हरि बाबू कमभमपति

कुंभ 2025 यूपी के लिए महत्वपूर्ण, धार्मिक पर्यटन में साबित होगा मील का पत्थर : अवनीश अवस्थी

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग, धर्मार्थ कार्य विभाग और इंडिया थिंक काउंसिल के तत्वावधान में बुधवार को ‘मंदिर की अर्थव्यवस्था और धार्मिक विकास’ विषय पर संगीत नाटक अकादमी में कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश में धर्म आधारित पर्यटन, मंदिरों के विकास से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि सहित अन्य विषयों पर चर्चा हुई। यूपी में धार्मिक स्थलों के विकास से देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ-साथ रोजगार, व्यापार, कर संग्रह में बढ़ोतरी देखने को मिली। 

मुख्य अतिथि मिजोरम के राज्यपाल हरि बाबू कमभमपति ने संबोधन में कहा, ‘उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के प्रयासों से महज पांच वर्षों में अयोध्या-काशी का कायाकल्प हुआ। ढांचागत विकास और पर्यटन सुविधाओं में बढ़ोतरी से पर्यटक पहाड़ी राज्यों से ज्यादा मंदिर दर्शन को तवज्जो दे रहे हैं।’ उन्होंने संबोधन में भारत में धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में मंदिरों के योगदान को बताया। उन्होंने कहा, ‘मंदिरों से आर्थिक आय में वृद्धि होती है। उदाहरणस्वरूप, यदि किसी गांव में मंदिर हो तो आसपास के क्षेत्र में कई प्रकार की आर्थिक गतिविधियां होने लगती है। व्यापार के साथ सनातन धर्म का प्रसार होता है। उन्होंने कहा, भारत में तीन करोड़ देवी-देवता हैं। उनके मानने वाले भी बहुतायत हैं। ऐसे में श्रद्धालु एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं, इससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।’

मिजोरम के राज्यपाल ने भारत में मंदिरों की अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया, एक मंदिर से जुड़ी कई संस्थाएं होती हैं, जिनका सामाजिक योगदान बड़ा होता है। कोरोना महामारी के बाद धार्मिक पर्यटन खासा बढ़ा है। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों का असर दिखा। लोग पहाड़ी राज्यों में भ्रमण से ज्यादा मंदिरों के दर्शन को तवज्जो दे रहे हैं। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से समय अयोध्या में आधारभूत संरचनाओं का अभाव था। यूपी टूरिज्म के प्रयासों से महज पांच साल में रामनगरी का कायाकल्प हो गया। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को भी आभार दिया जाना चाहिए। राज्यपाल ने यूपी में सड़क के दोनों ओर आकर्षक पेंटिंग और कलाकृतियों की विशेष प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘मंदिर की अर्थव्यवस्था सनातन परंपरा की वजह से ही बढ़ रही है। भारत की परंपरा में अनेकों देवताओं को पूजने की प्रथा है यह तीर्थाटन और पर्यटन को बढ़ाने का सबसे बड़ा माध्यम है, जहां विभिन्न मतावलम्बी अपने-अपने आराध्य को पूजने अलग-अलग स्थान पर जाते हैं, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। इसके इतर, क्रिश्चियन और मुस्लिम धर्म में एक देवता मानने की प्रथा है।’

अवनीश कुमार अवस्थी (सलाहकार-मुख्यमंत्री उप्र) ने अपने संबोधन में प्रदेश में बढ़ते धार्मिक पर्यटन पर ख़ुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, इस चलन से मंदिरों की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ क्षेत्र और स्थानीय रहवासियों का विकास हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों की सराहना की। अवनीश अवस्थी ने काशी की पुरानी गलियों की याद दिलाते हुए वर्तमान विकास कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने आंकड़ों के जरिए बताया कि, बदले समय में वाराणसी में देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। जमीनों के अधिग्रहण और सरकारी प्रयास से काशी में विकास की गंगा बह रही है। उन्होंने पर्यटकों के अर्थशास्त्र को भी बताया। बोले, आज काशी आने वाला प्रत्येक पर्यटक औसतन दो हजार रुपए प्रतिदिन खर्च कर रहा है, जिससे मंदिरों की अर्थव्यवस्था के साथ धार्मिक विकास को बढ़ावा मिला है। 

अवनीश अवस्थी ने आगामी देव दीपावली के लिए मिजोरम के राज्यपाल को सपत्नीक आमंत्रित किया। संबोधन में उन्होंने गोरखनाथ मंदिर और अयोध्या राम मंदिर का उदाहरण दिया। अवनीश अवस्थी ने प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम के कार्यों की तारीफ करते हुए अयोध्या में सफल दीपोत्सव के आयोजन की चर्चा की। उन्होंने कहा, दीपोत्सव एक ऐसा आयोजन है जहां हर वर्ष लाखों की संख्या में दीप जलाकर अपने पिछले रिकॉर्ड को ही तोड़ा जाता है। अवस्थी ने अयोध्या के लिए एयर इंडिया की सीधी उड़ान, देश के बड़े होटल समूहों के धर्मनगरी में आगमन सहित पर्यटन को बढ़ावा देने वाले अन्य तत्वों की प्रशंसा की। पर्यटन के लिहाज से कुंभ 2025 उत्तर प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण रहेगा। करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु संगमनगरी में आस्था की डुबकी लगाएंगे, जो धार्मिक पर्यटन में मील का पत्थर साबित होगा। 

प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा, उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन से रोजगार के साथ विकास को बढ़ावा मिला है। छोटे से बड़े सभी तरह के व्यापार फले-फूले हैं। फूल, कपड़े, पूजा-प्रसाद सामग्री का कारोबार तेजी से बढ़ा है। पर्यटकों/श्रद्धालुओं के आगमन से व्यापारिक बदलाव देखने को मिल रहा है। मंदिरों की आय बढ़ी है। मुकेश कुमार मेश्राम ने काशी विश्वनाथ का उदाहरण देते हुए बताया, श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्या ने सिल्क उद्योग को नई उड़ान दी है। सिल्क सदियों की बिक्री और व्यापार बढ़ा है। 

मुकेश कुमार मेश्राम ने आंकड़ों के जरिए बताया, कोरोना महामारी के बाद उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन ने राज्य की अर्थव्यवस्था में किस प्रकार वृद्धि की। उन्होंने यूपी में रामायण सर्किट, शक्ति पीठ, कृष्ण-ब्रज सर्किट, उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद, जैन सर्किट, बुद्ध सर्किट के लिए कहा, यह हिंदुओं के अलावा बौद्ध और जैन मतावलंबियों के लिए भी बराबर महत्ता रखता है। कहा, घरेलू धार्मिक पर्यटकों के आगमन में उत्तर प्रदेश अव्वल है।

प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति ने संबोधन में कहा, आने वाले समय में धार्मिक पर्यटन के मद्देनजर नए जिलों पर ध्यान दिया जाएगा। मूलभूत सुविधाओं को केंद्र में रखते हुए नए जिलों का विकास कैसे हो, ये प्राथमिकता होगी। यूपी के सभी 75 जिलों में धार्मिक स्थलों के आसपास के क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। उन्होंने बताया, धर्मार्थ कार्यों में यूपी अग्रणी राज्य है। महाकुंभ 2025 की चर्चा करते हुए मेश्राम बोले, अनुमानित 40 करोड़ लोग प्रयागराज में आस्था की डुबकी लगाएंगे। उन्होंने काशी की देव दीपावली, अयोध्या का दीपोत्सव, ब्रज रंगोत्सव के महत्व और हाल के वर्षों में उनकी वैश्विक लोकप्रियता को बताया। उन्होंने कहा, मंदिर आस्था के साथ आर्थिक विकास को भी बढ़ावा दे रहे हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वन ट्रिलियन इकॉनमी के प्रयास के लिए मददगार साबित होंगे। 

धर्मार्थ विभाग के संयुक्त निदेशक विश्व भूषण मिश्रा के साथ संगीत नाटक अकादमी के निदेशक शोभित नाहर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में केंद्र तथा राज्य सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी तथा प्रमुख शिक्षाविद शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन इंडिया थिंक काउन्सिल के निदेशक सौरभ पांडेय ने किया।