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गोमती तीरे गूंजा “होरी खेलत चारों भईया हो रामा अवधपुरी मा…”

गोमती तीरे लगी लोक चौपाल, नाव में गाया फाग

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। प्रतिमाह होने वाली लोक चौपाल इस बार गोमती तट पर लगी। हुरियारों ने नौका विहार करते हुए नाव में फाग गाया गया। रविवार को लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा कुड़िया घाट पर आयोजित ‘लोक मन और फाग’ विषयक परिचर्चा में वक्ताओं ने होली के पारम्परिक स्वरुप के संरक्षण की आवश्यकता बताते हुए कहा कि फाग गीत सामूहिक उल्लास के प्रतीक और लोक संस्कृति के संवाहक हैं। इस अवसर पर फाग गीतों पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी मनमोहक रहीं। 

लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि कुछ दशक पहले तक बसंत पंचमी के दिन होलिका स्थापना के बादे प्रतिदिन होलिका में उपली, कंडे, लकड़ियां डाली जाती थीं। शाम को होली की महफिलें सजती थीं जहां बड़े बुजुर्गों के बीच नई पीढ़ी के लोग भी हारमोनियम, ढोल व मजीरे की थाप पर होली गीतों का आनंद उठाते थे। आज फाग गायन लुप्त हो रहा है।

उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष अच्छेलाल सोनी ने कहा कि वर्तमान परिवेश में डीजे की धुनों के बीच बज रहे गीतों के सामने फाग, चैता, बेलवरिया, कहरवा आदि धुनों में गाये जाने वाले गीत लोगों की समझ से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने लोक संस्कृति शोध संस्थान के प्रयासों की सराहना की।

परिचर्चा में चौपाल चौधरी एवं वरिष्ठ लोक गायिका इन्दिरा श्रीवास्तव, चौपाल प्रभारी अर्चना गुप्ता, डा. स्मिता मिश्रा, डा. अनिल गुप्ता, डा. एस. के. गोपाल आदि ने भी अपने विचार रखे। सर्वश्री राजनारायण वर्मा, जादूगर सुरेश कुमार, एस.पी.साहू ने भी चौपाल में सहभागिता की। 

पारम्परिक फाग से गुलजार हुई चौपाल

लोक चौपाल में पारम्परिक फाग पर आधारित गीत व संगीत की भी प्रस्तुति हुई। ज्योति किरन रतन ने मनमोहक नृत्य किया। वरिष्ठ गायिका इन्द्रा श्रीवास्तव ने होरी खेलत चारों भईया हो रामा अवधपुरी मा, मधु श्रीवास्तव ने रंग डारो न हम पर बार बार, इन्दु सारस्वत ने रंगाइब हम चुनरी यहि फागुन मा, सुषमा प्रकाश ने जमुना तट श्याम खेलैं होरी, डा. भक्ति शुक्ला ने होरी खेलन को आये हैं, कविता सिंह ने बम भोला हो लाल, शशि सिंह ने रंग डारो न कान्हा, रश्मि उपाध्याय ने सिर बांधे मुकुट खेले होरी, अनीता मिश्रा ने ब्रज मंडल देस दिखाओ रसिया, नीरा मिश्रा ने हां मैंने कछु ना कही मोहे सांवरे ने गारी दई, अंजलि सिंह ने शिवशंकर खेलत फांग गौरा संग लिए, प्रियंका दीक्षित ने केसर के रंगों से, शिखा श्रीवास्तव ने होरी खेलन गये ससुरारी सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। इसके अतिरिक्त लोक गायिका रत्ना शुक्ला, रीता पाण्डेय, मीनू पाण्डेय, गौरव गुप्ता, भूषण अग्रवाल, अश्वित रतन, माधुरी आदि ने मिलकर होरी की धूम मचाई।