लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। 01 से 04 फरवरी तक श्री श्री रविशंकर आश्रम बैंगलोर में ‘कलासाधक संगम’ आयोजित होने जा रहा है। कलासाधक संगम में देशभर के लगभग 2 हजार प्रतिनिधि व कलासाधक इकट्ठा होंगे। वस्तुतः कलासाधक संगम भारतीय कला दृष्टि में विश्वास रखने वाले कलासाधकों का एक समागम है। जो प्रायः 3 वर्ष के अंतराल पर देश के अलग-अलग स्थान पर आयोजित होता है। इसमें विभिन्न कलाविधाओं की मंचीय प्रस्तुतियां व बौद्धिक संवाद-विमर्श के कार्य होते हैं। जिसके माध्यम से कार्यकर्ता, कलासाधक, कलारसिक व आमजन भारतीय कला दृष्टि के प्रति अपनी सोच विकसित करते हैं और साहित्य-कला-संस्कृति के माध्यम से मातृभू आराधना में संलग्न होते हैं।
इस बार के कलासाधक संगम में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए साहित्यकार व कलाकार कला और साहित्य के माध्यम से समरसता विषय के अंतर्गत आने वाले विभिन्न पहलुओं पर संदेश देंगे। इस निमित्त अलग-अलग सत्रों में सेमिनार, मंचीय प्रस्तुतियों व प्रदर्शनियों की सहायता ली जाएगी। इसी क्रम में समरसता शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। पेंटिंग, फोटोग्राफी, कैलीग्राफी व रंगोली की प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी। नॉर्थ ईस्ट के कलासाधक सामूहिक नृत्य प्रस्तुति देंगे। धार्मिक-सामाजिक आख्यान, नृत्य, गायन, वादन की भी प्रस्तुतियां होंगी।
4 दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन में कलाओं के संरक्षण-संवर्धन के लिए विख्यात मैसूर राजवंश के राजा यदुवीर वाडियार, विजयनगर साम्राज्य के वंशज कृष्णदेवराय के साथ ही प्रख्यात लोक कलाकार पद्मश्री मंजम्मा जोगती, वरिष्ठ तबला वादक रविंद्र यावगल व इतिहासकार डॉ. विक्रम संपत भी उपस्थित रहेंगे।
कार्यक्रम में 2 दिन (3 व 4 फरवरी) को प.पू. सरसंघचालक मोहन भागवत की भी उपस्थिति रहेगी। वे भरतमुनि सम्मान समारोह में दृश्यकला व लोककला के दो ख्यातिनाम कलासाधकों को सम्मानित करेंगे।
‘भरतमुनि सम्मान – 2023‘
मुंबई के चित्रकार विजय दशरथ आचरेकर एवं सिंधुदुर्ग के लोक कलाकार गणपत सखाराम मसगे संस्कार भारती के ‘भरतमुनि सम्मान 2023‘ से सम्मानित होंगे। कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती नई दिल्ली ने उभरते कला केंद्र ‘कला संकुल‘ में कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए अपने ‘प्रथम सम्मान‘ की घोषणा की। वर्ष 2023 के लिए दृश्यकला एवं लोककला विधाओं के कलाकारों को यह सम्मान दिया जाएगा। दृश्यकला में मुंबई के चित्रकार विजय दशरथ आचरेकर एवं लोककला में सिंधुदुर्ग के गणपत सखाराम मसगे को उनकी कला साधना और अपने कार्यक्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए संस्कार भारती द्वारा सम्मानित किया जाएगा। इन दोनों नामों की घोषणा करते हुए संस्कार भारती के अखिल भारतीय महामंत्री अश्विन दलवी ने कहाकि ऐसे विशिष्ट कलाकारों को सम्मानित करते हुए हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह सम्मान अखिल भारतीय कलासाधक संगम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत द्वारा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि संस्कार भारती द्वारा दिया जानेवाला यह ‘भरतमुनि सम्मान‘ भारत में पंचम वेद के नाम से विख्यात नाट्य शास्त्र के रचियता महर्षि भरत मुनि को समर्पित है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2024 का भरतमुनि सम्मान मंचीय कला और साहित्य के क्षेत्र में दिया जाएगा।
सम्मान के रूप में एक स्मृति चिह्न, सम्मान पत्र एवं रुपए 1,51,000 की राशि भेंट की जाएगी। उसी समय संस्कार भारती द्वारा निर्मित दोनो ही कलाकारों के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित लघु फिल्म भी दिखाई जाएगी। उन्होंने सम्मान विजेताओं की चयन प्रक्रिया की संक्षिप्त जानकारी भी पत्रकार वार्ता में दी। आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के आशीर्वचन व मोहन भागवत के समापन उद्बोधन के साथ 4 दिवसीय कार्यक्रम पूर्ण होगी।
प्रेस वार्ता में संस्कार भारती की डॉ. पूर्णिमा पाण्डेय (पूर्व कुलपति, भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय एवं पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ), गिरीश चन्द्र (सह महामंत्री, संस्कार भारती, उप्र), पद्मकान्त शर्मा (सम्पादक, कलाकुंज भारती) एवं डॉ. विभा सिंह (सह संयोजिका, संगीत विधा, अवध प्रान्त) उपस्थित रहे।
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