लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा/टेलीस्कोप टुडे)। लक्ष्मण नगरी में महोसवों की धूम मची हुई है। एक ओर जहां जानकीपुरम में उत्तर प्रदेश महोत्सव चल रहा है वहीं दूसरी ओर गोमा तट पर 14 जनवरी से उत्तरायणी कौथिग में पर्वतीय छटा बिखरेगी। कुमाऊं केसरी उत्तराखण्ड में भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के जन नायक बद्री दत्त पाण्डेय द्वारा उत्तरायणी कौथिग (मेले) प्राचीन बागेश्वर से प्रारम्भ किया गया था। अग्रेजों की कुली बेगार, कुली उतार जैसी अमानवीय प्रथा के विरूद्व यह आहिंसात्मक आन्दोलन उत्तरायणी मेले के ऐतिहासिक महत्व को और भी बल प्रदान करता है। सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व के प्रतीक उत्तरायणी त्यौहार आज उत्तराखण्ड के प्रत्येक क्षेत्र में बडे़ हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जगह-जगह मेले के आयोजन, पवित्र सरयू तथा अन्य नदियों में स्नान और बच्चों का विशेष आकर्षण घुघुत (विभिन्न आकृतियों के मीठे पकवान) उत्तरायणी मेले के विशेष महत्व को दर्शाती है। रविवार को उत्तरायणी कौथिग (मेले) शोभा यात्रा का शुभारम्भ अध्यक्ष गणेश चन्द्र जोशी, महासचिव महेन्द्र सिंह रावत, मुख्य संयोजक टीएस मनराल, संयोजक केएन चंदोला, उपाध्यक्ष मोहन सिंह मोना, लाबीर सिंह बिष्ट, नरेन्द्र सिंह देवड़ी, प्रो आरसी पन्त के नेतृत्व में श्री रामलीला मैदान महानगर से होगा। वहीं शाम को केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 10 दिवसीय उत्तरायणी कौथिग का उद्रघाटन करेंगे।
शनिवार को मेला स्थल पर आयोजित पत्रकार वार्ता में पर्वतीय महापरिषद के अध्यक्ष गणेश चंद्र जोशी व महासचिव महेंद्र सिंह रावत ने बताया कि इस वर्ष की शोभा यात्रा का संचालन सलाहकार मण्डल द्वारा किया जाएगा। जिसमें सुन्दर पाल सिंह बिष्ट के नेतृत्व में इस वर्ष क्षेत्रवार झांकियां एवं क्षेत्रीय संस्थाओं के दल शोभा यात्रा में चलेंगे। झांकियों में सर्व प्रथम भगवान श्रीराम चन्द्र जी का रथ, बाबा बागनाथ की झांकी, नन्दा राजजात यात्रा, महन्त दिव्यागिरी का रथ चलेगा। तत्पश्चात् औली पर्यटन स्थल की झांकी, पूर्णागिरी की झांकी, जागनाथ मन्दिर की झांकी, ग्वेल देवता का मन्दिर की झांकी, यमुनोत्री एवं गंगोत्री की झांकी, कैंची धाम एवं कैलाश मानसरोवर की झाांकी, बद्रीनाथ व केदारनाथ की झांकी, धारीदेवी एवं रानीखेत की झांकी, झांकर सैम एवं हाटकालिका मन्दिरों की झांकी। शोभा यात्रा में गढ़वाली, कुमाऊनी, जौनसारी, नेपाली पारंपरिक वेश-भूषा में नृत्य करते हुए क्षेत्रीय शाखाओं के कलाकार एवं लोग चलेंगे। अन्त में उत्तराखण्ड से आया पारंपरिक छोलिया नृत्य दल रहेगा।
कौथिग स्थल के मंच पर प्रातः प्रति दिन बागेश्वर उत्तराखण्ड से लाई गई भगवान बागनाथ की अखण्ड ज्योति की पूजा की जाएगी तथा दर्शन हेतु मेला स्थल पर अस्थायी मन्दिर स्थापित किया गया है। उन्होंने बताया कि पर्वतीय महापरिषद द्वारा वर्ष 2010 से प्रारम्भ किया गया तीन दिवसीय उत्तरायणी मेला वर्ष दर वर्ष अपना भव्य स्वरूप धारण कर रहा है। उत्तरायणी मेले का शुभारम्भ विगत वर्षों की भॉंति इस वर्ष भी श्री रामलीला मैदान, महानगर से शोभा यात्रा के रूप में होगा। गोमती नगर, तेलीबाग, कानपुर रोड, सरोजनी नगर व राजाजीपुरम् से आने वाली समस्त बसें व पर्वतीय वेश-भूषा में सभी महिलाए श्री रामलीला मैदान महानगर में एकत्रित होंगी। प्रातः 11 बजे श्री रामलीला मैदान महानगर में अल्मोड़ा से आए पूरन राम का प्रसिद्व छोलिया दल के कलाकारों का गायन व छोलिया नृत्य तथा नन्दा राजजात शोभायात्रा के पीछे-पीछे पर्वतीय वेश-भूषा में विशाल जन समूह मेला स्थल की ओर प्रस्थान करेगा।
महापरिषद के अध्यक्ष गणेश चन्द्र जोशी ने बताया कि उत्तराखण्ड तथा उत्तर प्रदेश के अनेकों मंत्रीगण, जनप्रतिनिधि तथा प्रशासनिक अधिकारियों को उत्तरायणी मेले हेतु अतिथि एंव मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। महासचिव महेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि मेले में उत्तराखण्ड सहित अन्य प्रदेशों से अनेक सांस्कृतिक दल लखनऊ पहुॅंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष उत्तरायणी कौथिग के दौरान छपेली-प्रतियोगिता सीजन-2, बच्चों की प्रश्नोत्तरी, अपनी बोली-भाषा पर कार्यक्रम आयोजित किए जाऐंगे। 22 जनवरी को भगवान श्रीराम जी के विग्रह स्थापना दिवस पर मंच पर दो घंटे का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा और 1008 दीपक जलाए जाएंगे। इस अवसर पर भव्य झांकी संग प्रभु श्रीराम का राज्याभिषेक आकर्षण का केंद्र होगा।
मुख्य संयोजक टीएस मनराल ने बताया कि मेले में आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं यथा महिलाओं की मटकी फोड, रस्सा-कसी, मेहन्दी प्रतियोगिता, बच्चों की चित्रकला, एंव अन्य सभी प्रतियोगिताओं एंव प्रतिभागियों का क्रम सुनिश्चित कर लिया गया है।
संयोजक केएन चंदोला ने बताया कि पर्वतीय महापरिषद द्वारा विभिन्न विधाओं में पुरस्कार भी प्रदान किए
जाते है। जिनमें पर्वत गौरव सम्मान, वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली वीरता पुरस्कार, डॉं. एमसी पन्त चिकित्सा सम्मान, श्री गोविन्द सिंह नयाल सामाजिक सेवा सम्मान, दीवान सिंह डोलिया लोक कला सम्मान, गोपाल उपाध्याय साहित्य सम्मान, श्यामाचारण काला पत्रकारिता सम्मान, बीएम शाह नाट्य कला सम्मान, नितिशा नेगी क्रीड़ा सम्मान, गौरा देवी महिला सम्मान, युवा सम्मान, उत्तरायणी कौथिग विशेष सम्मान, श्री रणवीर सिंह बिष्ट कला सम्मान प्रमुख है। ‘‘पर्वत गौरव सम्मान-2024’’ भी दिया जा रहा है।
रामलीला समिति महानगर के द्वारा मक्रर संक्रान्ति के अवसर पर लगभग 500 कलाकारों व कार्यकर्ताओं को खिचड़ी भोज के साथ पर्वतीय पकवान भी खिलाये जायेंगे।
मेले में गहत की दाल, पहाड़ी भट, बाल मिठाई, चुटुक (पहाड़ी कालीन) व औषधीय जड़ी-बूटीयों के स्टॉल सज चुके है। कार्यक्रम हेतु भव्य पाण्डाल एंव स्टेज बनकर तैयार हो गया है। सिडबी के स्टॉल भी उत्तरायणी कौथिग(मेला) में लगाए जाऐंगे। डॉ. भीम सिंह नेगी के नेतृत्व में प्रतिदिन निःशुल्क स्वास्थ्य कैम्प भी लगाया जाएगा। सांस्कृतिक दलों की व्यवस्था महेन्द्र पन्त, गोपाल दत्त जोशी, गोविन्द सिंह बोरा, रमेश उपाध्याय, ख्याली सिंह कड़ाकोटी, आनन्द सिंह कपकोटी सहित अनेक लोगों द्वारा की जा रही है। स्टॉल प्रबन्धन रवीन्द्र सिंह बिष्ट, शंकर पाण्डेय, गोपाल सिंह गैलाकोटी सहित अनेक लोगों द्वारा किया है। खान-पान कमेटी में केएन पाठक, पूरन जोशी, कमल नेगी शामिल है। मीडिया की जिम्मेदारी हेमंत सिंह गड़िया, भुवन पांडे, हरीश काण्डपाल को सौंपी गई है। युवा प्रकोष्ठ में पुष्कर सिंह नयाल, सुदीप जोशी, सुनील किमोठी, प्रशान्त भण्डारी, जितेन्द्र उपाध्याय, दीपक चिलकोटी, सूरज सिंह,
महिला प्रकोष्ठ में सुमन रावत, गंगा भट्ट, मंजू शर्मा पडेलिया, माया भट्ट, चित्रा काण्डपाल, शशि जोशी, नन्दा रावत, भारती काण्डपाल, दमयंती नेगी सहित अनेक लोगों द्वारा कार्य किया जा रहा है।