लखनऊ (टेलिस्कोप टुडे डेस्क)। दिलों को छू लेने वाली पहल “नन्हीं ख्वाहिशें” के तहत अपोलोमेडिक्स अस्पताल ने 5 वर्षीय वेदांत का डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया। वेदांत एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया से जूझ रहा है और इसका इलाज अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल में चल रहा है। बाल दिवस पर एक दिन का डॉक्टर बनकर उसने अपना सपना पूरा किया।
डॉक्टर प्रियंका चौहान (कंसल्टेंट, हेमटोलॉजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट, अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल) की देखरेख में वेदांत का इलाज चला रहा है। डॉ. प्रियंका ने बताया, “वेदांत के अंदर डॉक्टर बनने का जुनून है। हम जब भी उसे एग्जामिन करते हैं, वो कहने लगता है, पहले मैं आपको चेक करूंगा। वो स्टेथोस्कोप लगाकर अपनी मम्मी को चेक करेगा। आसपास खड़े डॉक्टर्स, स्टाफ और अन्य पेशेंट्स को चेक करता है। उसके इसी उत्साह को देखते हुए हमने उसे एक दिन का डॉक्टर बनाया।”
वेदांत की बीमारी के बारे में बताते हुए डॉ. प्रियंका ने कहा, “एक्यूट लिंफोब्लास्टिक एनीमिया एक प्रकार का रक्त कैंसर है। इसका इलाज संभव है और इसका जल्दी पता लगने और कायदे से इलाज करने पर परिणाम बेहतर आते हैं और मरीज स्वस्थ हो जाते हैं।”
वेदांत ने एक सफेद कोट और स्टेथोस्कोप लिया और निकल पड़ा हॉस्पिटल के राउंड पर। उसने जैसा डॉक्टर्स और स्टाफ को करते देखा था, ठीक उसी का अनुसरण करते हुए मरीजों की जांच की। यह देखकर गंभीर बीमारियों का इलाज करा रहे मरीजों के चेहरे पर एक जीवंत मुस्कान नजर आई।
इससे पहले “नन्हीं ख्वाहिशें” पहल के तहत अस्पताल ने एक बच्चे की “थार” गाड़ी में बैठने की ख्वाहिश पूरी की थी। जिसे थार बनाने वाली कंपनी महिंद्रा के ओनर आनंद महिंद्रा ने एक्स प्लेटफॉर्म पर कोट भी किया था।
अपोलोमेडिक्स अस्पताल के एमडी और सीईओ डॉ. मयंक सोमानी ने बताया, “सिर्फ बीमारियों का इलाज करने के लिए नहीं बल्कि मरीजों के अंदर जीवंतता का संचार करने के लिए अपोलोमेडिक्स प्रतिबद्ध है। वेदांत का सपना हमारे मिशन नन्हीं ख्वाहिशें के साथ प्रतिध्वनित हुआ कि हमारे बाल रोगियों के लिए मुस्कान और आशा लाए। एक दिन के लिए डॉक्टर बनना एक छोटा सा इशारा है, लेकिन हम मानते हैं कि यह एक बच्चे के ठीक होने की प्रक्रिया पर यह गहरा सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।”