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फाइलेरिया रोगियों की पहचान के लिए मध्य रात्रि ले रहे हैं रक्त के नमूने, ये है वजह

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया रोगियों की पहचान करने के लिए जनपद के शहरी एवं ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में एक से 10 नवंबर तक नाइट ब्लड सर्वे चलाया जा रहा है। जिसमें संभावित फाइलेरिया मरीजों के रक्त का नमूना रात के 8:30 से 12 बजे के मध्य लिया जा रहा है। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. गोपीलाल ने बताया कि फाइलेरिया रोगियों के रक्त की जांच रात में इसलिए की जाती है क्योंकि फाइलेरिया के जीवाणु यानि माइक्रोफाइलेरिया रात के समय सक्रिय होते हैं। नोडल अधिकारी ने बताया कि सर्वे 12 ग्रामीण और नौ शहरी सीएचसी के क्षेत्रों में कराया जा रहा है। आईडीए अभियान के छह माह बाद नाइट ब्लड सर्वे कराया जाता है। हर शहरी सीएचसी क्षेत्र और ग्रामीण ब्लॉक में दो साइट यानिएक फिक्स साइड और दूसरी रैंडम साइट चुनी गई है। जिस क्षेत्र या गाँव में माइक्रो फाइलेरिया (एमएफ) रेट और मरीजों की संख्या भी ज्यादा होती हैं। उस गांव को फिक्स साइड में रखा जाता हैं और रेंडम साइट को ऐसे ही चुन लिया जाता हैं। हर साइट  से 300लोगों के रक्त के नमूने लिए जाएंगे। इस तरह से हर ब्लॉक से कुल 600 लोगों के रक्त के नमूने लिए जाएंगे। जिन मरीजों के रक्त के नमूने पॉजिटिव आएंगे उनका फाइलेरिया का इलाज शुरू होगा।

यदि माइक्रो फाइलेरिया रेट (एमएफआर) यदि एक प्रतिशत से अधिक हाेगा तो भविष्य में इन क्षेत्रों में घर-घर दवा खिलाने का अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान की सफलता के लिए चार सदस्यीय कुल 60 टीमें लगाई गई हैं। हर टीम में लैब टेक्नीशियन, लैब अटेंडेंट, हेल्थ सुपरवाइजर और बेसिक हेल्थ वर्कर (बेसिक हेल्थ वर्कर) को शामिल किया गया है। आशा कार्यकर्ता मोबिलाइजर का काम करेंगी।

जिला मलेरिया अधिकारी डा. रितु श्रीवास्तव ने बताया कि एक नवंबर से शुरू हुए नाइट ब्लड सर्वे में अभी तक 2897 लोगों के रक्त के नमूने लिए गए हैं। जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 1707 तथा शहरी क्षेत्र में 1192 लोगों के रक्त के नमूने लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि रक्त के नमूनों को जांच के लिए पहले संबंधित सीएचसी की प्रयोगशाला को और फिर राज्य स्तरीय प्रयोगशाला को भेजा जाता है। इस जांच में मरीज के धनात्मक (पॉजिटिव) होने पर उसका उपचार शुरू किया जाता है। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरों के काटने के बाद व्यक्ति को बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं। अचानक बुखार आना (आमतौर पर बुखार 2-3 दिन में ठीक हो जाता है), हाथ-पैरों में खुजली होना, एलर्जी और त्वचा की समस्या, स्नोफीलिया, हाथों में सूजन, पैरों में सूजन के कारण पैर का बहुत मोटा हो जाना, पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन होना, पुरुषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तन में सूजन आना फाइलेरिया के लक्षण हैं।

इसी क्रम में शुक्रवार को बक्शी का तालाब ब्लॉक के ग्राम पंचायत सोनवां में 143 लोगों के रक्त नमूना लिया गया। यह नमूना लेने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बख्शी तालाब से टीम गांव पहुंची। जिसमे अमरेंद्र सिंह (लैब टेक्नीशियन), मुकेश कुमार (लैब अटेंडेंट), अरविंद सिंह (बीएसडब्ल्यू), सिद्धार्थ त्रिवेदी (बीएसडब्ल्यू), उत्तम कुमार हेल्थ सुपरवाइजर पहुंचे। इसके साथ ही जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय से सीनियर लैब टेक्नीशियन आलोक मिश्रा, सीनियर मलेरिया इंस्पेक्टर बीके गौतम, आशा कार्यकर्ता रामलीला देवी और  प्रियंका तथा पांच फाइलेरिया नेटवर्क सदस्यों राजेश मिश्रा, कृष्णकुमार मिश्रा, कमला देवी, रजिया और दीपक कुमार ने इस कार्य में अपना पूरा सहयोग दिया और लोगों को घर से बुलाकर रक्त के नमूने दिलवाने में  टीम की मदद की।  इस कार्यक्रम में स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।