लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। शिया पीजी कॉलेज और इंडियन मेन्टल हेल्थ एंड रिसर्च सेंटर के संयुक्त तत्वाधान में 5वाँ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘अनुसंधान रणनीति और शिक्षाविदों व शोध में प्रगतिः वैश्विक परिवेक्ष का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में बोलते हुए एरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. अब्बास अली मेंहदी ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों और वर्जनाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि कैसे मानसिक स्वास्थ्य सिर्फ मस्तिष्क पर नहीं बल्कि पूरे शरीर और सबसे ज़्यादा आंत पर निर्भर करता है। आंत अभी भी वह अंग है जिसमें खुशी के हार्मोन होते हैं जो हमारी भावनाओं को प्रभावित करते हैं। उन्होंने उपचार के समय आहार और पोषण के प्रति सचेत रहने के लिए चिकित्सकों की भूमिका पर जोर दिया।
मजलिस-ए-उलेमा के सचिव मौलाना डॉ. यासूब अब्बास ने कहा कि रिसर्च को बढ़ावा देना आज के समय में अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसके जरिये हम शिक्षा व अन्य क्षेत्रों में योगदान दे सकते है। शिया पीजी कॉलेज में रिसर्च को हमेशा से महत्व दिया जाता है और आगे भी इसमें इजाफा होगा। ऐसी कांफ्रेंस का आयोजन समय समय पर होना चाहिए।
सीनियर एडवाइजर एसजीटी यूनिवर्सिटी गुरुग्राम प्रो. वहीदा खान ने कहा कि भारत ने 34 प्रतिशत की औसत विकास दर के साथ 13 लाख शोध आउटपुट का महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारतीय शोध में आने वाली चुनौतियों में अपर्याप्त धन, सहयोग, बुनियादी ढाँचा और लैंगिक समानता जैसे मुद्दे शामिल हैं, जिन्हें सरकारी पहल के माध्यम से कम किया जा सकता है। शिया पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. एसएसआर बाकरी ने कार्यक्रम में आये सभी डेलीगेट्स का स्वागत किया और कहा कि यह सम्मान की बात है की कॉलेज में इस तरह का आयोजन हो रहा है। जिससे छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की रिसर्च को समझने का मौका मिलता है।
कांफ्रेंस के अंतिम दिन रविवार को 8 शोध कार्यों को उनके शोध की गुणवत्ता और समाज को लाभ पहुंचाने के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। इस मौके पर एमिटी यूनिवर्सिटी के क्लिनिकल साइकोलॉजी विभाग के प्रमुख, प्रो. एसजेडएच जैदी, केजीएमयू के डॉ. राकेश कुमार त्रिपाठी, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से डॉ. मधु कुशवाह, इंचार्ज साइस फैकेल्टी प्रो. जमाल हैदर ज़ैदी, प्रोफेसर आगा परवेज मसीह, डॉ. मोहम्मद अली व शिया पीजी कॉलेज के अन्य अध्यापक व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।