लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। दो दिवसीयनॉर्थ ज़ोन एबिलिम्पिक्स 2025 का शुभारंभ शुक्रवार को अटल कन्वेंशन सेंटर में हुआ। जिसमें उत्तर भारत के 8 राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के दिव्यांगजनों (PwD) के खास हुनर और सपनों का सम्मान किया जाएगा।

नेशनल एबिलिम्पिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनएएआई) द्वारा सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट के साथ आयोजित इस कार्यक्रम में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD), TPCDT और इंडसइंड बैंक का भी सहयोग है। कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिभागी फोटोग्राफी, पेंटिंग एवं डेकोरेशन, टोकरी बनाना, बाल काटना, केक सजाना, कैरेक्टर डिजाइन, इंजीनियरिंग डिजाइन आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए सम्मिलित हुए।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए, पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), उत्तर प्रदेश सरकार नरेंद्र कुमार कश्यप ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “मैं एबिलिम्पिक्स जैसी पहल का स्वागत करता हूँ। जो दिव्यांगजनों के कौशल विकास और रोज़गार अवसरों को बढ़ावा देने की दिशा में एक मजबूत कदम है। क्योंकि वे 2027 के फ़िनलैंड लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कौशल और रोज़गार के माध्यम से दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के सार्थक के प्रयास सराहनीय हैं। उत्तर प्रदेश राज्य सार्थक जैसे अनेक संस्थाओ के साथ जुड़ने के लिए उत्सुक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में, उत्तर प्रदेश कई कल्याणकारी योजनाओं के साथ इन प्रयासों को आगे बढ़ा रहा है। अर्ली इंटरवेनशन, व्यावसायिक प्रशिक्षण और आजीविका के अवसरों पर केंद्रित ₹1950 करोड़ के बजट के साथ, राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि प्रत्येक दिव्यांगजन फले-फूले और हमारी साझा प्रगति में योगदान दे।”

“क्षमताओं के ओलंपिक” या “दिव्यांगजन के लिए कार्य कौशल ओलंपिक” के रूप में व्यापक रूप से जाने वाले एबिलिम्पिक्स का उद्देश्य दिव्यांगजनों के बीच प्रतिभा और व्यावसायिक उत्कृष्टता का सम्मान करना है। यह उन्हें रोज़गार और समावेश की दिशा में आगे बढ़ने का मौका देता है। इस आयोजन में एक रिजनल सम्मेलन भी शामिल है, जिसमें सरकार, कॉर्पोरेट, गैर-सरकारी संगठनों और शिक्षा क्षेत्र के लोग मिलकर समावेशी कौशल, रोज़गार अवसरो की कमी और सशक्तिकरण की स्थायी प्रणालियों पर चर्चा करने के लिए सम्मेलित हुए।

एनएएआई के महासचिव और सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट के संस्थापक एवं सीईओ डॉ. जितेंद्र अग्रवाल ने कहा, “यह एक प्रतियोगिता से कहीं बढ़कर है। यह भारत भर के लाखों दिव्यांगजनों के लिए आर्थिक सम्मान, आत्मविश्वास और करियर के द्वार खोलने का एक आंदोलन है। सार्थक में, हम केवल कौशल का निर्माण नहीं कर रहे है बल्कि हम भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। 2027 तक 1 करोड़ दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने और 2 लाख से अधिक स्थायी रोज़गार उपलब्ध कराने का हमारा मिशन ही हमारे हर प्रयास को प्रेरित करता है।”

इस आयोजन में सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट के ग्लोबल रिसोर्स सेंटर के निष्कर्षों पर भी प्रकाश डाला गया। जिसमें चिंताजनक अंतरालों का खुलासा हुआ। डॉ. अग्रवाल ने कहा, “भारत के 2.68 करोड़ दिव्यांगजनों में से 64% से ज़्यादा बेरोज़गार हैं, इसके अलावा, उन्हें मदद देने वाले प्रशिक्षित विशेषज्ञों की बहुत कमी है, 70% पद खाली हैं। ये जानकारियाँ कौशल और रोज़गार में व्यवस्थागत सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर देती हैं।”

सार्थक ने शुरुआत से अब तक लगभग 1 लाख दिव्यांगजनों को प्रशिक्षित किया है और भारत के प्रतिष्ठित संगठनों में विभिन्न नौकरियों में नियुक्त किया है। इस प्रतियोगिता के विजेता नवंबर में दिल्ली में होने वाले राष्ट्रीय एबिलिम्पिक्स 2025 में हिस्सा लेंगे। वहीं से “टीम इंडिया” का चुनाव किया जाएगा, जो 2027 में फ़िनलैंड में होने वाले अंतरराष्ट्रीय एबिलिम्पिक्स में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।
उत्तर भारत में हुआ यह एबिलिम्पिक्स कार्यक्रम सिर्फ कौशल दिखाने का मौका नहीं था, बल्कि यह भी साबित करता है कि जब दिव्यांगजनों को सही मंच और अवसर मिलते हैं, तो वे दूसरों का नेतृत्व कर सकते हैं, नए विचार ला सकते हैं।