प्रयागराज (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। अपने बचपन से ही प्रयागराज से गहरा नाता रखने वाले अवादा ग्रुप के चेयरमैन विनीत मित्तल ने इस बार भी प्रयागराज महाकुंभ में भाग लेकर और भारतीय संस्कृति के प्रति अपने सम्मान और अपनी आस्था को प्रकट किया।
अवादा ग्रुप की अनूठी पहल
इस महाकुंभ के अवसर पर अवादा ग्रुप ने एक विशेष पहल की और महाराष्ट्र, गुजरात, सोनभद्र और राजस्थान के 1,000 से अधिक ग्रामीणों को इस सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महाकुंभ में शामिल होने का अवसर प्रदान किया। इससे उन्हें भारत की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने और इस पवित्र परंपरा का अनुभव करने का मौका मिला।
इस मौके पर उन्होंने कहा, “महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, यह हमारे ऋषियों की गहरी वैज्ञानिक समझ को दर्शाता है। हजारों साल पहले, हमारे ऋषियों ने यह समझ लिया था कि ग्रहों की चाल और खगोलीय घटनाएं पृथ्वी की ऊर्जा और मानव चेतना को कैसे प्रभावित करती हैं। महाकुंभ का समय विशेष रूप से उस समय चुना जाता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और बृहस्पति कुंभ राशि में होता है। यह खगोलीय घटना पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करती है और ऊर्जा का संतुलन बनाती है। त्रिवेणी संगम पर आकर मानव, प्रकृति और ब्रह्मांड के बीच के इस गहरे संबंध को महसूस किया जा सकता है।यह भव्य आयोजन भारतीय संस्कृति, प्राचीन विज्ञान और आध्यात्मिक परंपराओं का अद्भुत संगम है।”
श्री मित्तल ने इस पहल के बारे में कहा, “त्रिवेणी संगम नदियों का संगम मात्र नहीं है, यह एकता, नवजीवन और सामंजस्य का प्रतीक है। यह हमें अपनी परंपराओं को सहेजने और उन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने की प्रेरणा देता है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन परंपराओं के महत्व को समझें और उनका संरक्षण करें।”
महाकुंभ के पीछे का विज्ञान
महाकुंभ का आयोजन भारतीय ऋषियों की वैज्ञानिक दृष्टि और गहन खगोलीय ज्ञान को दर्शाता है। इसकी तिथि और समय ग्रहों की विशेष स्थिति और उनकी ऊर्जा पर आधारित होती है। इस दौरान बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा की स्थिति पृथ्वी पर विशेष ऊर्जा प्रवाह पैदा करती है।
त्रिवेणी संगम पर स्नान को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है। संगम के जल में मौजूद खनिज तत्व और इसकी भौगोलिक ऊर्जा मानव शरीर के ऊर्जा केंद्रों (नाड़ी) को संतुलित करने और चेतना को जागृत करने का काम करती है। आधुनिक विज्ञान भी इस बात को मानता है कि ठंडे पानी में स्नान, प्राकृतिक चुंबकीय गुणों और पवित्र स्थलों की ऊर्जा का मानव स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
संस्कृति और स्थिरता का संदेश
महाकुंभ भारतीय संस्कृति का वह पहलू है जो हमें हमारी जड़ों और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का अहसास कराता है। श्री मित्तल के नेतृत्व में अवादा ग्रुप ने इस परंपरा को संरक्षित करने और इसे समावेशी विकास से जोड़ने की दिशा में काम किया है।
एकता और परिवर्तन का प्रतीक
प्रयागराज महाकुंभ समय, परंपरा और भौगोलिक सीमाओं से परे, पूरे भारत को एकजुट कर रहा है। यह आयोजन न केवल प्राचीन भारतीय ज्ञान और विज्ञान की गहराई को उजागर करता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि आध्यात्मिकता और प्रकृति के साथ संतुलन कैसे बनाया जाए।
श्री मित्तल का प्रयागराज दौरा उनके इस विश्वास को दर्शाता है कि संस्कृति, विज्ञान और स्थिरता को साथ लेकर चलना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। कुंभ एवं भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी आस्था भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणाश्रोत का काम करेंगे।