बलरामपुर गार्डन में 22वां पुस्तक मेला : चौथा दिन
- किताबों के बीच नजर आया पाठकों का उत्साह
- कैकेयी के राम, चंदन किवाड़ व इवोल्यूशन आफ आर्ट का विमोचन, डा. उषा सिन्हा पर चर्चा
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। बलरामपुर गार्डन अशोक मार्ग में चल रहे 22वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले के चौथे दिन रविवार सुबह से ही पुस्तक प्रेमी उमड़ने लगे। विमोचन कार्यक्रमों की तो जैसे झड़ी लगी रही।
नयी किताबों में सेतु प्रकाशन की आपातकाल में लोकसभा को लेकर विवेचनात्मक राजगोपाल सिंह वर्मा की पुस्तक ताकि सनद रहे और काम बाटोमोर द्वारा सम्पादित व कमल नयन चौबे द्वारा अनुवादित मार्क्सवादी चिंतन कोष मांग हैं।

राम पुनियानी की लहुलुहान कश्मीर और तड़पती कश्मीरियत के अलावा संविधान संघ और डा.अम्बेडकर भी चर्चा में हैं। राजू शर्मा का उपन्यास गरीबजादे और रजनी गुप्त का जस्ट चिल यार भी पसंद किया जा रहा है। सस्ता साहित्य मंडल आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, महावीर प्रसाद द्विवेदी, जयशंकर प्रसाद और प्रताप नारायण मिश्र जैसे हिन्दी के निबंधकारों पर श्रंखला निकाली है।
इसके साथ ही सत्यप्रिय पाण्डेय की लोक साहित्य का समाजशास्त्र जैसी महत्वपूर्ण किताबें हैं। अनबाउण्ड स्क्रिप्ट, अदित्रि बुक, राजपाल, सामायिक जैसे लगभग सभी स्टालों पर नयी किताबें खूब हैं।

आज कार्यक्रमों में वाश शैली के अप्रतिम चित्रकार प्रो. सुखवीर सिंघल की पुस्तक इवाल्यूशन आफ आर्ट एण्ड आर्टिस्ट के पहले खण्ड का विमोचन उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने उ.प्र. ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष सीताराम कश्यप, अखिलेश निगम, मेला संयोजक मनोज सिंह चंदेल, प्रो. सुखवीर सिंघल के दामाद राजेश जायसवाल, पुत्री डा. स्तुति सिंघल, नातिन प्रियम चंद्रा व अन्य अतिथियों की उपस्थिति में किया।

डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि आज एक ऐसी पुस्तक का विमोचन करने का अवसर मिला है जिसके लेखन से प्रकाशन तक अलग कहानी है। प्रो. सुखवीर सिंघल ने जिस तरह से कला को आगे बढ़ाने का कार्य किया वह काफी प्रशंसनीय है। कलाकृतियों के माध्यम से उनकी जीवनशैली और जीवन गाथा आज भी जीवित है। यह पुस्तक भारत की कला और संस्कृति को विश्व में बिखेरने का कार्य करेगी।

डिप्टी सीएम ने विरासत को आगे बढ़ाने में प्रो. सुखवीर सिंघल की नातिन प्रियम चंद्रा के प्रयासों की तारीफ करते हुए कहा कि बेटियां भारत की संस्कृति को देश विदेश तक पहुंचाने में अहम योगदान दे रही हैं।
प्रो. सुखवीर सिंघल की नातिन प्रियम चंद्रा ने बताया कि इस पांडुलिपि को पूरा करने में उनके नाना को बारह वर्ष का अथक परिश्रम करना पड़ा, परंतु उनके जीवनकाल में यह पुस्तक प्रकाशित न हो सकी। बीते करीब तीन वर्षों की मेहनत के बाद उन्होंने इस पुस्तक को EVOLUTION OF ART AND ARTIST नाम से तैयार किया है। यह पुस्तक केवल कला का इतिहास नहीं है, बल्कि कला के दर्शन, मनोविज्ञान और तकनीकी पहलुओं की गहराई से समझाने वाला ग्रंथ है। उन्होंने बताया कि भविष्य में पुस्तक का दूसरा और तीसरा खंड भी प्रकाशित होगा।


प्रियम चंद्रा ने बताया कि सन् 1942 की होली की सुबह उनके नाना को पं. जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुत्री इंदिरा गांधी के विवाह निमंत्रण पत्र को तैयार करने को बोला। सुखवीर सिंघल का दृढ़ आग्रह था कि निमंत्रण पत्र भारतीय शैली में हो। इस पर हुए गहन संवाद में उन्हें अपनी विचारधारा को पुस्तक रूप में प्रस्तुत करने का सुझाव मिला।

तीन खंडों में कल्पित इस पुस्तक के बारे में प्रियम चन्द्रा और सहयोगी डा. अणिमा चक्रवर्ती ने बताया कि पांडुलिपि पूरा करने में उन्हें बारह वर्ष लगे, परंतु उनके जीवनकाल 2006 तक में यह पुस्तक प्रकाशित न हो सकी। अब डिजिटलीकरण और कई दौर के सूक्ष्म संपादन के बाद छपकर सामने आयी है। इस मौके पर डा. अणिमा चक्रवर्ती, प्रशांत भाटिया, शुभि पब्लिकेशन के संजय, रितम, पुनीत सहित काफी संख्या में कलाप्रेमी मौजूद थे।

वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित मुख्यमंत्री के सलाहकार पत्रकार रहीस सिंह की पुस्तक कैकेयी के राम का विमोचन आचार्य मिथिलेश नन्दिनी शरण ने वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष शुक्ल, प्रवीण कुमार, विजय त्रिपाठी, सुधीर मिश्रा व लेखक की मौजूदगी में किया। आचार्य मिथिलेश नंदनी ने कहा कि राम को पूर्ण श्रीराम कैकयी ने ही बनाया। लेखक श्री सिंह ने कहा कि लोगों के द्वारा रची दूसरी मां की परिभाषा हमेशा विचलित करने वाली रही, मुझे कैकेयी के लिए संदर्भ में यह मिथ्या धारणा बदलकर अपने दृष्टिकोण को सामने लाना था।

यहीं वाणी द्वारा ही प्रकाशित मालिनी अवस्थी की चंदन किवाड़ की चर्चा में लेखिका ने लोक संस्कृति को असल और सहज संस्कृति बताया। प्रकाशक अदिति माहेश्वरी और आशुतोष शुक्ल ने अन्य पक्षों को रखा। उन्होंने कहा कि पुस्तक में देसज शब्दों का खुलकर इस्तेमाल हुआ है। महिलाओ द्वारा किया जाने वाला नकटौरा विधा मनोरंजन का उन्मुक्त साधन रहा है। ऐसी विधाओं को परिष्कृत रूप में संजोना और विकसित किया जाना चाहिए।
सुबह शिक्षाविद प्रो. विष्णु गिरि गोस्वामी, भाषाविद प्रो. उषा सिन्हा के व्यक्तित्व कृतित्व पर मीडिया फाउंडेशन व नवसृजन की ओर से सुल्तान शाकिर हाशमी की अध्यक्षता में चली परिचर्चा में मुख्य रूप से अनिल मिश्र, नरेन्द्र भूषण, महेन्द्र भीष्म, मन्जू सक्सेना व डा. शिवमंगल सिंह मंगल ने विचार रखे।

सविता शर्मा की वाणी वन्दना व डा. योगेश के संचालन में ममता पंकज व मधु पाठक ने रचनाकारों का परिचय रखा। रवींद्र नाथ तिवारी, त्रिवेणी प्रसाद दुबे, रश्मि लहर, डा. सुषमा सौम्या, अखिल कुमार श्रीवास्तव, रत्ना बापुली, चन्द्रपाल सिंह, अनिल किशोर शुक्ल, विजय कुमारी मौर्य, पूनम सिंह प्रिया, सविता श्रीवास्तव आस्मा, सर्वेश पाण्डेय, मनमोहन बाराकोटी ने विचार रखे।
फ्लाईड्रीम पब्लिकेशंस की ओर से 75वीं पुस्तक कथा संग्रह घुंघरू पर लेखक संजीव जायसवाल ने कहा कि संग्रह में आधुनिक विषयों को भय और रोमांच के जगाने के साथ लिया है। आगे प्रकाशक की मांग पर पौराणिक चरित्रों हिडिंबा, कुम्भकरण पर भी लिखने का इरादा है। शाम को अपराजिता संस्था के कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।
8 सितंबर के कार्यक्रम
पूर्वाह्न 11:00 बजे प्रगतिशील मानव कल्याण का समारोह
अपराह्न 12:30 बजे निरूपमा मेहरोत्रा के उपन्यास प्रतीक्षा का विमोचन
अपराह्न 2:00 बजे मंजूषा परिषद का सम्मान समारोह
अपराह्न 3:30 बजे आर्य प्रतिनिधि सभा का आयोजन
शाम 5:00 बजे कौशल किशोर की किताब का विमोचन
शाम 7.00 बजे कविता लोक सृजन का काव्य समारोह