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सीडीआरआई की उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में डॉ. शरद शर्मा की रही अमूल्य भूमिका

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सीएसआईआर, सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई), लखनऊ ने गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिस (जीएलपी) अध्ययनों एवं इन्वेस्टिगेशनल न्यू ड्रग (आईएनडी) प्रस्तुत करने संबंधी जरूरतों पर प्रकाश डालते हुए एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया। सीएसआईआर-सीडीआरआई में आयोजित संगोष्ठी में संबन्धित क्षेत्र के सम्मानित विशेषज्ञों का स्वागत किया गया। इस संगोष्ठी में सीडीआरआई के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. शरद शर्मा को सम्मानित किया गया। सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने अपने स्वागत भाषण में संस्थान में विशेष रूप से जीएलपी सुविधा के लिए डॉ. शर्मा के महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की। उन्होंने सीडीआरआई जैसे अनुसंधान संस्थान के लिए जीएलपी प्रमाणीकरण के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जिसकी औषधि अनुसंधान एवं विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है।

संगोष्ठी में मौजूद वक्ताओं ने जीएलपी अध्ययन और आईएनडी प्रस्तुतीकरण के प्रमुख पहलुओं में अपनी अंतर्दृष्टि एवं अनुभव साझा किए। वक्ताओं में फार्मालेक्स के वरिष्ठ निदेशक एवं एक प्रसिद्ध विषविज्ञानी डॉ. सेबेस्टियन जोसेफ के साथ डॉ. मंथन डी जानोदिया (मणिपाल कॉलेज ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज में फार्मास्युटिकल नियामक मामलों और प्रबंधन विभाग में प्रोफेसर) तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के राष्ट्रीय जीएलपी अनुपालन निगरानी प्राधिकरण की प्रमुख डॉ. एकता कपूर, शामिल थी। 

डॉ. सेबास्टियन जोसेफ ने आईएनडी-सक्षम प्रीक्लिनिकल अध्ययनों के कस्टमाइजेशन (अनुकूलन) के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया की रेगुलेटरी इंक्वाइरी को प्रभावी बनाने के लिए डाटा का व्यवस्थित रखरखाव एवं नियमित आंकलन किसी भी जीएलपी स्टडी की मूलभूत आवश्यकता है। डॉ. जोसेफ ने शोधकर्ताओं को नियामक अधिकारियों द्वारा उठाए जाने वाले सभी प्रासंगिक प्रश्नों का पूर्वानुमान लगाने और उनके समाधान के लिए तैयार रहने की आवश्यकता पर भी बल दिया जो जीएलपी अध्ययन का एक प्रमुख घटक है।

डॉ. मंथन डी जानोदिया ने फार्मास्युटिकल रेगुलेटरी कम्पलाइन्स (नियामक अनुपालन) सुनिश्चित करने में जीएलपी अध्ययन की आवश्यक भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे जीएलपी अध्ययन न केवल वैज्ञानिक प्रगति में योगदान देता है बल्कि दवा विकास से जुड़े जोखिमों को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि ऐसी जीएलपी सुविधाएं अपनी परीक्षण सेवाओं के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करके अर्थव्यवस्था में योगदान करती हैं। जीएलपी मानकों का पालन करके, फार्मास्युटिकल कंपनियां अपनी विश्वसनीयता बढ़ा सकती हैं, अधिक ग्राहकों को आकर्षित कर सकती हैं और अंततः फार्मास्युटिकल क्षेत्र की वृद्धि के माध्यम से अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकती हैं। 

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के राष्ट्रीय जीएलपी अनुपालन निगरानी प्राधिकरण की प्रमुख डॉ. एकता कपूर का व्याख्यान डेटा सिद्धांतों की पारस्परिक स्वीकृति के पूर्ण अनुपालन की दिशा में भारत की यात्रा पर केंद्रित रहा। उन्होंने फार्मास्युटिकल क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र एवं भारतीय परीक्षण सुविधाओं पर विदेशी प्रायोजकों के विश्वास में वृद्धि देखी जा रही है, जिसका 40-45% हिस्सा अब देश के भीतर उत्पन्न डेटा द्वारा है। डॉ. कपूर ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और भारतीय परीक्षण सुविधाओं में विश्वास बढ़ाने में डेटा की पारस्परिक स्वीकृति के महत्व पर भी जोर दिया। आत्मविश्वास में यह वृद्धि फार्मास्युटिकल अनुसंधान और विकास के लिए एक विश्वसनीय केंद्र के रूप में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा को रेखांकित करती है।

संगोष्ठी के अंत में, सीडीआरआई के सभी वैज्ञानिकों ने सेवानिवृत्त हो रहे डॉ. शरद शर्मा को बधाई दी। सीडीआरआई को जीएलपी कंप्लाइंट प्रयोगशाला के रूप में स्थापित करने में डॉ. शरद शर्मा महत्वपूर्ण योगदान रहा। कई वैज्ञानिकों ने उनके साथ किए गए कार्यो की यादें साझा की। डॉ. शर्मा को सम्मानित करते हुए सीडीआरआई निदेशक डॉ. राधा ने कहाकि सीडीआरआई संस्थान की उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में डॉ. शरद शर्मा की अमूल्य भूमिका रही, संस्थान उनकी सेवाभावना से सदैव कृतज्ञ रहेगा।